Tuesday 28 August 2018

हिंदी आवृत्ती - शहरी नक्षल भाग १

Poet Varavara Rao after his arrest in Hyderabad

Poet Varavara Rao arrested in case relating to conspiracy to assassinate PM Modi - 28th Aug 2018

मेरे परम मित्र श्री आनंद राजाध्यक्ष जी ने लेख का रूपांतरण कम से कम समय में हिंदी मे उपलब्ध करवाया है इस लिये में उनकी तहे दिल से आभारी हू


जब से कल देशभर से शहरी नक्सलियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है, खलबली मचनी ही थी। उनके समर्थक एवं विरोधी दोनों ही विविध माध्यमों से अपने अपने मत विशेष आग्रह के साथ रखते दिख रहे हैं । किन्तु सभी जगह अनेक तथ्य गायब ही दिख रहे हैं, इसीलिए यह लेखमाला लिखी जा रही है ।

यह दिख रहा है  कि आम तौर पर शहरी नक्सलियों पर जोरदार हमला करनेवाले  भी पुलिस / सरकार की इस कार्रवाई का ठीक से समर्थन नहीं कर पा रहे हैं । कारण यह है कि शहरी नक्सलियों की जो प्रतिमा बनाई गयी है वह है महज "Arm Chair Politicians" की है याने एसी में आराम से बैठकर राजनीति की चर्चा करनेवाले जिनका वास्तव से कोई लेना देना नहीं, उसपर लिखानेवाले, भाषण देनेवाले विद्वान - पूँजीपतियों द्वारा शोषित देश की पददलित जनता का दम घोंट दिये जाने के विरोध में टीवी, अखबार तथा सोशल आदि हर मीडिया में आवाज उठानेवाले - ग्रामीण भारत में सशस्त्र संघर्ष करनेवाले गरीब आदिवासी नक्सली माओवादियों की बात रखनेवाले और इसलिए उनपर होते अन्याय को पूरी ताकत से वाचा देनेवाले बुद्धिजीवी याने शहरी नक्षली होते हैं  -ऐसी प्रतिमा बनाई गयी है ।

वस्तुस्थिति दूसरे ध्रुव की है ।

आप को मेरी बात कितनी भी तर्क से हटकर लगे, जब तक गहराई में जाकर इसकी जानकारी नहीं पा लेते, इन शहरी नक्सलियों की असलियत की पहचान हो पाना कठिन है इतना समझ लीजिये ।

 इसकी शुरुआत करनी होगी ये समझकर कि नक्सलियों की नज़र में शहरों का क्या महत्व होता है । माओवादियों के पॉलिट ब्यूरो ने 2001 में एक दस्तावेज़ प्रसिद्ध किया था जिसका नाम है Urban Perspective। इस दस्तावेज़ में नक्सलियों ने अपनी भूमिका विस्तार से रखी है और हमारे लिए यह जरूरी हो जाता है कि हम इसे जान ले। क्योंकि तब ही हम यह समझ सकेंगे ।


आइये पहले देखते हैं इस दास्तावेज में क्या लिखा है। सीधा वहीं से -

1.  देश के शहरी प्रदेश की विमुक्ति भले ही अपने संघर्ष के आखिरी चरण में करनी हो, लेकिन शहरों का इस संघर्ष में कितना महत्व है यह हमें शुरू से ही पता है । आंदोलन के लिए नेतृत्व तथा असंख्य कार्यकर्ता यहीं से उपलब्ध होते हैं । ग्रामीण भागों में अपना जनसंघर्ष जारी रखने के लिए और माओवादी संगठनने सरकारी कब्जे से 'मुक्त' किए हुए प्रदेश का व्यवस्थापन करने के लिए यह अत्यावश्यक है कि संगठन का कार्य शहरी विभागों में भी हो। हमारा शत्रुपक्ष शेरॉन में सब से अधिक प्रबल है,  अत: उसके मुक़ाबले में शहरी विभाग में प्रबल संगठन का निर्माण हो यह अनिवार्य है ।

2.  2001 के जनगणना के अनुसार देश की 27% जनता याने लगभग 28 करोड़ लोग शहरों में रहते हैं। 1971 में देश की अर्थव्यवस्था का 56% हिस्सा ग्रामीण भागों से आता था, अब यह केवल 25% रह गया है । शहरी विभागों में 35 केंद्र हैं, और इनका बड़ा हिस्सा दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई इन महानगरों के पास है और ये महानगर बाहरी मजदूरों की मेहनत पर खड़े हैं । इन मजदूरों में भाषा,प्रांत और धर्म के आधार पर फूट डालकर राजनीति की जाती है इसलिए यह शोषित वर्ग में एकजूट नहीं पायी जाती ।

3.  काम्रेड माओ कहते हैं - "the final objective of the revolution is the capture of the cities, the enemy’s main bases, and this objective cannot be achieved without adequate work in the cities." (Mao, Selected Works, Vol. II, Pg. 317).  भूमिगत कार्यकर्ताओं का नेटवर्क सक्रिय रखना, संगठन को मजबूत रखना तथा क्रांति के समय की प्रतीक्षा करना;  इस तरह से शहरी विभाग में संगठन का काम होना चाहिए । एक ओर से कानूनी मंचों से काम हो तो दूसरे छोर से गुप्त संगठन खड़ा करना ये दोनों काम शहरी विभागों में करने हैं ।  "Those organisations, which openly propagate Party politics, should generally function secretly. Those organisations functioning openly and legally, generally cannot openly identify with the Party, and should work under some cover with a limited programme." जो भी संस्थान कानूनी ढंग से चलाये जाएंगे उन्हें सीमित कार्यक्रम हाथ लेकर उनके आड़ में अपना काम करना चाहिए। ऐसे संस्थानों को चाहिए कि वे माओवादी संगठनों से अपने सम्बन्धों को उजागर न होने दें । लेकिन जो संस्थान सीधा पक्षकार्य कर रहे हैं उन्हें चाहिए कि वे गुप्त तरीकों से संगठन चलाएं ।

4.  Correctly coordinating between illegal and legal structures,we should have an approach of step by step raising the forms of struggle and preparing the masses to stand up against the might of the state.  इस तरह से कानूनी और गैर कानूनी संगठन - संस्थाओं को एक दूसरे से तालमेल से जनता को सरकार के राक्षसी ताकत के विरोध में लड़ने को तैयार किया जाये ।

5.  शहरों में हमारे शत्रु के हाथ में प्रचंड शक्ति होती है। पुलिस- सेना - शासन के अन्य विभाग तथा क्रांति का दम घोंटने के लिए जो आवश्यक होती  हैं वे सभी दमन की यंत्रणाएँ एकत्रित हैं । उनके उपयोग से श्रमजीवियों के संघर्ष को कुचला जाता है । हमें चाहिए कि जब समय आयेगा तो इसे प्रत्युत्तर देने के लिए हम सक्षम हों इस तरह से हम काम करें ।

6.  शहरी दलों पर महत्व की ज़िम्मेदारी है - Military Tasks .  अर्बन पर्सपेक्टीव इस दस्तावेज़ में कहा गया है कि "While the main military tasks are performed by the PGA and PLA in the countryside, the urban movement too performs tasks complementary to the rural armed struggle. These involve the sending of cadre to the countryside, infiltration of enemy ranks, organising in key industries, sabotage actions in coordination with the rural armed struggle, logistical support, etc..…" हमारे संघर्ष का प्रमुख काम माओवादी सेना गांवों में कर रही है; शहरों में उसके पूरक काम किया जाये । जैसे कि शहरों से गांवों में कार्यकर्ता भेजना, शत्रु के गुट में पैठ बनाना, प्रमुख औद्योगिक क्षेत्रों में संगठन खड़े करना और भीतरघाती काम ये सभी पूरक कामों को शहरों में अंजाम दिया जाये ।

 7.  शहरों में जासूसी सर्वेक्षण करना महत्व का काम है जिसे शहरी नक्सलियों के दल संभालते हैं । he objectives of our intelligence work should be to learn about and study the tactics and plans of the enemy forces in the area, to study the activities of informers, to prevent infiltration into the organisation


8.  यह दस्तावेज़ कहता है - "Infiltration into the Enemy Camp. It is very important to penetrate into the military, para-military forces, police, and higher levels of the administrative machinery of the state. The cities are the strongholds of the enemy and have a large concentration of enemy forces. It is therefore from the cities that attention must be given to this task."  शत्रु की सेना,  अन्य सशस्त्र बल , पुलिस तथा वरिष्ठ प्रशासकीय अधिकारी वर्ग इस ढांचे के सहारे उनकी सत्ता चलायी जाती है । इसलिए यह आवश्यक है कि शहरी दलों को इन संस्थानों में घुसपैठ करनी होगी तथा उनको भीतर से खोखला करने के प्रयास करने होंगे । उनके साथ अपने संबंध बनाने होंगे।

9.  Supplies or contacts for supplies of certain types are only available in the urban areas. Examples of such supplies are arms and ammunitions, spare parts, certain types of medical supplies, etc. Helping the People’s Army to establish the supply lines in this regard is a task that the urban organisation can perform. ग्रामीण विभागों में संघर्ष के लिए अनेक प्रकार का आवश्यक सामान केवल शहरों में ही उपलब्ध होने के कारण उसे खरीदने में शहरी दलों की सहभागिता अनिवार्य है । जैसे कि शस्त्र और उनके पुर्जे, विस्फोटक, दवाइयाँ,  डॉक्टर तथा अन्य संबन्धित सेवाएँ शहरों से ही जुटाये जा सकते हैं । इनके खरीद का ढांचा नक्सलियोंके शहरी दल बनाते हैं और उसपर अमल करने की ज़िम्मेदारी उनके ग्रामीण विभागों को सौंपी जाती है । इसमें उनके सेना के गणवेश भी आते हैं, शहरों से खरीदे जाते हैं । टेक्नोलोजी में नक्सली माहिर होते हैं और अनेक प्रकार के शस्त्र खुद ही बना लेते हैं । इसके लिए लगनेवाले मशीनों के पुर्जे भी शहरों में से बनवाए जाते हैं, और अक्सर उन कारखानों को यह पता भी नहीं होता कि वे जो बना रहे हैं वो किसके क्या काम आयेगा। 

10. Logistical networks should be established in absolute secrecy over a period of time. Separate comrades should be allocated for such work and once they are so allocated they should be released from other work and delinked completely from the mass work. ये सभी कामों में गुप्तता अनिवार्य है । इसलिए यह जरूरी है कि ये काम करनेवाले कार्यकर्ता जनता में घुल मिल कर करनेवाले कामों से दूर रखे जाएँ ।
11 . आंदोलन के सामरिक लक्ष्यों के लिए सायबर युद्ध लड़ने की ज़िम्मेदारी शहरी दलों को सौंपी गयी है । 

११आंदोलन के लष्करी लक्ष्य को पाने के लिये सायबर युद्ध लडने का काम शहरी शाखा ओ को दिया गया है 

दस्तावेज़ में "हिन्दू फासिस्ट" गुटों की चर्चा है और शहरों में उनके विरोध में क्या काम किया जा सकता है इसका भी विवरण है।

जारी......

सूचना - पुस्तक प्रकाशित करने से पहिले मैने एक पुलिस अफसर से यह पूछा था कि क्या यह  दस्तावेज तथ्य पूर्ण  है. लेकिन इसक कोई जबाब मिल नही. इस लिये दस्तावेज सही है या नही इस पर मै टिप्पणी नही कर सकती हू लेकिन इतना जरूर कह सकती हू  कि शहरी इलाखो में माओवादीओ का संघटन इसी रस्ते से चलते हुए किया जा रहा है. इसी आधार पर यह लेख लिखा गया है.


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